बलरामपुरवाड्रफनगर

शहरी क्षेत्रों में भी आमजन सुविधाओं से कोसों दूर खाट के सहारे पहुंच रहे अस्पताल.

बलरामपुर – आप सभी उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं जब चांद पर भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा छोड़े गए रॉकेट सफलता पूर्वक लैंड कर जाए और देश का डंका पूरी दुनिया में बजे। लेकिन जब देश के भीतर इंसानी बस्तियों तक जन सुविधा ना पहुँचे तो शासन प्रशासन के कार्यशैली पर सवालिया निशान लग जाता। 

    हम आज एक ऐसे जगह की बात कर रहे हैं जहाँ का नाम सुनते ही आप कहेगें की यहाँ तमाम सुविधा उपलब्ध होगी। बात नगर पंचायत वाड्रफनगर की कर रहे हैं। यहाँ के वार्ड क्रमांक 1 के नवापारा में आज भी जिंदा इंसान को चार कंधो की जरूरत पड़ती हैं, खाट का सहारा लेकर बीमार को ईलाज के लिए लाया जाता हैं, तस्वीरे जो निकल कर सामने आई हैं उसमें एक घायल को खाट पर लेकर लोग पगडंडी रास्तों से चले जा रहे हैं। जिससे यह बिल्कुल साफ हो जाता है कि शासन प्रशासन इनकी हितो का ध्यान नही कर पा रही हैं या यूं कहें कि शासन-प्रशासन को इन से कुछ लेना देना नहीं है आज के नर्क व्यवस्था में जी रहे हैं लोग।

 दअरसल जिले के वाड्रफनगर नगर पंचायत क्षेत्र में बदहाल व्यवस्थाओं की तस्वीर सामने आई हैं। यहां एक गंभीर रूप से घायल युवक को खाट पर अस्पताल पहुंचाया गया है। आप को बता दें कि नगरपंचायत क्षेत्र के वार्ड क्र.1 नवापारा में एक युवक बुरी तरह से घायल हो गया। जब 108 एंबुलेंस को फोन किया गया तो एंबुलेंस जगह तक पहुंच ही नहीं पायी। मजबुरन ग्रामीणों ने युवक को खाट का सहारा लेकर अस्पताल तक पहुंचाया।अब ग्रामीण शासन और प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। लोगों का कहना है कि हर साल नगर पंचायत को टैक्स देने के बाद भी आज तक वार्ड क्रमांक 1 विकास से कोसों दूर है । मामले में बी.एम.ओ. शशांक सिंह ने बताया कि 108 वाहन भेजा गया था लेकिन सड़क नहीं होने की वजह से वाहन को वापस बुला लिया गया बाद में गांव वालों ने खाट और निजी वाहन का सहारा लेकर मरीज को अस्पताल पहुंचाया गया है। मरीज का इलाज जारी है। अब देखने वाली बात होगी की सरकारों के विकास के दावों के बीच वाड्रफनगर में वार्ड क्र. 1 के ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा कब तक मील पाती है।

वही पूरे मामले में नगर पंचायत की अध्यक्षा प्रमिला श्यामले से बात की गई तो उन्होंने कहा कि क्योंकि यह रास्ता जंगल की जमीन से होकर गुजरता है और अभी तक फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिला है जैसे ही वन विभाग की अनुमति मिलती है उसे तत्काल बनाया जाएगा। बरहाल जो भी हो यहां के स्थानीय लोग अभी भी अंधेर नगरी का दंश झेल रहे हैं देखने वाली बात यह है कि कब इन्हें काली रातों के अंधेरे से दीए का उजाला नसीब होता।

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