वाड्रफनगर – एक ओर पूरा भारत आजादी के जश्न में डूब हुआ था तो दूसरी ओर बसंतपुर थाना क्षेत्र के पशुपतिपुर में शव का चिरहरण चल रहा था शव को जलाने के लिए विवाद की स्थिति निर्मित हो गई।
दरअसल गाँव में अकेला रह रहे किशोर गुप्ता पिता अम्बिका गुप्ता की तबियत खराब थी और गाँव वाले उसके परिजनों को सूचित कर दिए तबियत खराब की बात उसके मामा और माँ को पता चला तो उसकी माँ पूणे महाराष्ट्र में अपने घर पर थी वहाँ से यहाँ जब पहुंचे तो वह मृत अवस्था मे पड़ा हुआ था। परिजनों ने उसके मौत की खबर गाँव वालों को दी और उसके कुछ परिजनों के आने का इंतजार करने लगे व दूसरी ओर शव के अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे। गाँव वाले शव के लिए लकडी भी शमसान में भेज दिए लेकिन उसकी माँ ने लोगों को कहा कि इसकी चिता यही घर के अंदर ही जलाने की बात कहते हुए जिद करने लगी। कुछ लोग उसके जिद के आगे झुक गए और राजी हो गए।
उसके उपरांत शमसान में रखी हुई लकड़ियां घर मे मंगाई गई और चिता भी तैयार हो गया, चिता पर शव को लेटा दिया गया उसके ऊपर लकड़ीया भी रख दिया गया। लेकिन उसके बाद गाँव वाले विरोध पर उतर आए। परिजनों ने काफी जोर – जबरदस्ती की लेकिन गाँव वाले यह कहते रहे कि यहाँ शव घर पर नही जलेगी।
मृतक के माँ की जिद्द की क्या वजह थी आखिर क्यों वह चाहती थी कि मृतक के बनाए घर मे ही उसकी चिता जले।
गाँव वालों ने बताया कि मृतक 18 वर्ष पहले यहाँ आया हुआ था और अपने रिश्तेदार से जमीन का सौदा तय किया और रिश्तेदारों के जमीन पर घर भी बना लिया लेकिन जमीन की रजिस्ट्री नही हुई जिसके लिए पंचायत तक बुलाई गई। परिजन उसे पूणे महाराष्ट्र घर बुलाते रहे लेकिन वह वापस जाना नही चाहता था। यही वजह थी कि मृतक की माँ जिद्द पर अड़ी थी कि उसकी चिता घर मे ही जले
अंततः गाँव और परिजनो के बीच काफ़ी विवाद हुआ नौबत हाथापाई तक पहुँच गई थी लेकिन पुलिस की मौजूदगी से मामला संभल गया। पुलिस दोनों पक्षों से लगातार चर्चा करती रही। उसके उपरांत पुलिस द्वारा परिजनों को समझाइस दी कि वे शव का अंतिम संस्कार बनारस गंगा जी के घाट मे करे।
परिजन पूरे गाँव व उन रिस्तेदारो को भला बुरा कहते हुवे चिता पर से शव को उतारा और एक निजी वाहन की व्यवस्था से शव लेकर बनारस निकल गए।