

वाड्रफनगर – नगर के सिविल अस्पताल में प्रसूता का शव उसके कोख में बच्चे के साथ पड़ा है। प्रसूता के परिजनों ने शोक के साथ कहा कि हम समय पर प्रसूता को नही ला पाए ला लिए होते तो उसकी व उसके बच्चे की जान बच जाती।
दरअसल प्रसूता रामकली पति प्रताप उम्र 20 निवासी चरचरी को समय पर प्रशासन की योजनाओं का लाभ नही मिल,सका लिहाजा उसे व उसके अजन्मे बच्चे को काल के गाल में समाना पड़ा।
अब हम आपको यह बताते हैं कि प्रसूता के साथ हुआ क्या उसे क्यो नही मिली प्रशासन के योजनाओं का लाभ कैसे उसके परिजनों का भरोसा टूटा, शासन प्रशासन में आखिरकार किसकी लापरवाही थी।

परिजनों ने बताया कि उन्हें प्रसूता को लेकर पहले उत्तरप्रदेश जाना पड़ा फिर 30 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ी तब वे अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र रघुनाथनागर पहुंचे वहाँ पहुँचने में काफी विलंब हुवाँ जिसके कारण प्रसूता की स्थिति काफी खराब हो गई थी। कुछ उपचार के बाद प्रसूता को वाड्रफनगर के सिविल अस्पताल के लिए रेफ़र कर दिया गया और परिजनों उसे किसी तरह वाड्रफनगर लाए लेकिन यहाँ पहुचते ही डाक्टरों ने बताया कि अब प्रसूता व उसका बच्चा इस दुनिया में नही रहे।

परिजनों को प्रसूता को लेकर उत्तरप्रदेश क्यू जाना पड़ा क्यू हुआ विलम्ब। आप सभी को तीन दिनों की भारी बारिश याद ही होगा प्रशासन भी लोगो को लगातार बारिश की चेतावनी दे रहा था और उसी बारिश में वाड्रफनगर जनपद पंचायत क्षेत्र के दो गाँवो का सम्पर्क टूटने की खबर हमने प्राथमिकता के साथ आपको बताई थी और लोगों के हित के लिए शासन प्रशासन से यह अपील भी किया था कि कुछ वैकल्पिक व्यवस्था की जाए ताकि ग्राम पंचायत बभनी एवं चरचरी के लोगो को सुविधा मिले उन्हें परेशानी ना हो खेती बाड़ी का दिन हैं लेकिन प्रधानमंत्री सड़क योजना के अधिकारी को हमारी अपील नही पहुँची लेकिन हमें यह पता है कि उन्हें इस बात की जानकारी थी और उन्हें वैकल्पिक मार्ग निकलने को भी कहा गया था। लेकिन इस ओर प्रधानमंत्री सड़क योजना के अधिकारियों की नजर नहीं गई उन्हें लोगो की परेशानियों से क्या लेना देना हैं।

इस सड़क पर स्थित जो बरन नदी बही हैं उसके कारण उन्हें महतारी एक्सप्रेस 102 की सुविधा नही मिली, लिहाजा उन्हें निजी वाहन की व्यवस्था करनी पड़ी। वाहन व्यवस्था में भी विलम्ब हुआ और निजी वाहन को अस्पताल तक पहुचने के लिए उत्तरप्रदेश के रास्ते होते हुए 30 किलोमीटर घूम कर अपने नजदीकी अस्पताल रघुनाथनगर आने में भी विलम्ब हुआ। जब कि उनके 10 से 12 किलोमीटर की दूरी तय कर यहाँ पहुच सकते थे। इसी बरन नदी के समीप ही यह अस्पताल हैं।
यही वजह हैं कि इस दुनिया में आने से पहले ही नवजात अपनी माँ के कोख में ही माँ के साथ दम तोड़ दिया।
साहब सड़क, पुलिया आप जब बना पाओगे तब बनाइएगा यहाँ की नदियों में काफी रेत हैं यहाँ की रेत ट्रको में भर कर उत्तरप्रदेश भेजी जाती हैं वहाँ उसकी कीमत लगती हैं पर यहाँ जनहित के लिए नदियों में रेत मुफ़्त हैं। जिससे बोरियों में भर कर वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती है।