दूध एवं दूध से बने खाद्य पदार्थों का विक्रय कर प्राप्त कर रहीं हैं अतिरिक्त आय
बलरामपुर– ग्रामीण क्षेत्रों के पशुपालकों तथा महिलाओं की आजीविका के साधनों को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में विकासखण्ड वाड्रफनगर एवं राजपुर में दूध इकाई की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा किया गया है। जिसका उद्देश्य महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के साथ-साथ पशुपालकों को बाजार उपलब्ध कराना है। ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा 35 महिलाओं के दो समूह को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षित कर डेयरी संचालन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्तमान में जिले में दूधवाला नामक दो दूध इकाई का संचालन महिला स्व-सहायता समूह के द्वारा किया जा रहा है। समूह की महिलाएं आस-पास के पशुपालकों से दूध खरीदकर दूध तथा दूध से निर्मित खाद्य पदार्थों का विक्रय कर रहीं हैं। जिससे समूह की महिलाओं को रोजगार तथा ग्रामीण पशुपालकों को बाजार मिलने से उनकी आय में वृद्धि हो रही। स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित मसालों के साथ-साथ दूध से निर्मित खाद्य पदार्थ और मिठाइयों की बिक्री की जा रही है। अब तक 02 लाख 20 हजार रुपये की दूध से निर्मित खाद्य पदार्थों की बिक्री की जा चुकी है, जिससे महिला स्व सहायता समूहों को लगभग 02 लाख 15 हजार की आय प्राप्त हुई है।
योजना के शुरुआती चरण में वाड्रफनगर और राजपुर में दूध संग्रहण केंद्र खोले गए है, जिसमें विभिन्न समूह की 70 महिलाएं दूध संग्रहण और वितरण का कार्य कर रही हैं, इसके अलावा इस कार्य के द्वारा 04 अतिरिक्त लोगों को अलग से रोजगार प्राप्त हुआ है। समूह की महिलाओं के द्वारा आस-पास के 10 गावों के 76 पशुपालकों से लगभग 152 लीटर दूध की खरीदी नियमित रूप से की जा रही है। समूह की महिलाओं द्वारा नगरीय क्षेत्र के 136 उपभोक्ताओं को प्रतिदिन बिहान मार्ट के द्वारा दूध का विक्रय किया जा रहा है। साथ ही बचे हुए दूध से समूह की महिलाएं विभिन्न प्रकार के मिठाईयां तैयार कर रहीं हैं। इस योजना की शुरुआत से अब तक दोनों केंद्रों के द्वारा लगभग 05 लाख 70 हजार की दूध की खरीदी की गई है, तथा 05 लाख 64 हजार की बिक्री की जा चुकी है। साथ ही बचे हुए दूध से मिठाइयों का निर्माण कर उन्हें बेचकर अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर चुकी हैं।
समूह की महिलाएं हो रही आर्थिक रूप से सशक्त
सदाबहार समूह की सदस्य श्रीमती मीना बताती है कि 35 महिलाओं को मिलाकर एक उत्पादक समूह का गठन किया गया है, जिसका सदाबहार उत्पादक समूह रखा गया है। बिहान योजना के तहत प्राप्त राशि का उपयोग कर समूह द्वारा इस कार्य का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि समूह की महिलाओं द्वारा प्रतिदिन आस-पास के पशुपालकों से 80 लीटर दूध का क्रय किया जाता है, जिसमें 60 लीटर दूध उपभोक्ताओं को बिहान मार्ट के माध्यम से विक्रय किया जाता है, जिससे अब तक हमें 01 लाख 15 हजार रुपये का लाभ हुआ है। किसान महिला स्व-सहायता समूह की सदस्य श्रीमती बाला कुशवाहा बताती है कि उनके द्वारा मसाला उद्योग संचालन के साथ-साथ बिहान मार्ट का भी संचालन किया जा रहा है। बिहान मार्ट में समूह की महिलाओं द्वारा दूध से निर्मित खाद्य पदार्थ जैसे पनीर, दही, खोवा तथा विभिन्न प्रकार की मिठाइयों का विक्रय किया जा रहा है। जिससे प्रतिदिन 01 हजार से 12 सौ रुपये की आमदनी प्राप्त हो रही है।