नाराज एकलव्य के छात्र,छात्राओं से मिलने पहुचे अ. ज. जा. योजना आयोग अध्यक्ष।
बलरामपुर– जिले के वाड्रफनगर विकास खण्ड अंतर्गत एक मात्र संचालि एकलब्य आवासीय विद्यालय के छात्र, छात्राए अपनी समस्याओं को लेकर सड़को पर उतर आए थे। वे अपनी मांग को लेकर 7 किमी का सफ़र पैदल तय किए थे और फिर ब्लाक मुख्यालय में सड़क जाम किए । जिसे लेकर प्रशासनिक अमले में हड़कंप मची हुई थी और इस बात की जानकारी जब छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति योजना आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह को लगी तो वे बच्चों से मिलने यहाँ पहुँचे।
दअरसल बच्चों से मुलाकात करते हुए बच्चों के साथ उनके रहने के ठिकानों का भी अवलोकन किया। वही बच्चों से नजदीकियां बनाते हुए अलग से मिले, इस दौरान कोई भी कर्मचारी,अधिकारी, नेता या जन प्रतिनिधि वहाँ नही थे, लिहाजा बच्चों ने उनसे खुल कर अपनी बात रखी। फिर अधिकारियों से इस संबंध में जानकारी ली और ग्रामीणों से भी चर्चा किए। सभी से चर्चा में जो बात सामने आई, उस पर भानुप्रताप सिंह ने बताया कि इस परिसर में तीन ट्यूबेल लगाए गए थे जो तीनों फ़िलहाल में ड्राई है। जलस्तर नीचे चले जाने के कारण मुख्य समस्या पानी बनी हुई है। इस के बाद बच्चों के समस्याओं का त्वरित निदान किया जाएगा। इस बात का बच्चों को भरोसा दिया गया है।
वही सारी बातों पर गौर किया जाए तो समस्या तो अनेक है। इस परिसर में बच्चों का भविष्य भी अंधकार में डूबा हुआ नजर आ रहा है। इस एकलव्य आवासीय परिसर में बाहर से भीतर तक राजनीति की धूल चढ़ी हुई है। दरअसल वैकल्पिक व्यवस्था के तहत यहां विद्यालय संचालित किया जा रहा है। 4 साल हो गए हैं एक जगह पर जितनी जमीन चाहिए उसे अब तक राजस्व विभाग मुहैया नहीं करा पाई है। उसमें भी नेताओं के आपसी खींचतान में पर्याप्त जमीन चिन्हांकन नहीं किया जा सका है।
इसी दौरान अध्यक्ष महोदय द्वारा बच्चों से कुछ जनरल नॉलेज की सवाल पूछे पर जवाब में कितने हाथ खड़े हुए उससे शिक्षा का स्तर पता चलता है, यहां पर शिक्षकों के साथ 4 अतिथि शिक्षक भी मौजूद हैं लेकिन अध्यक्ष महोदय द्वारा किए गए सवालों पर उनकी दी हुई शिक्षा साफ झलक गई है।
राजनीति के दंश में बच्चे
इधर चक्का जाम के वक्त बच्चों के उठाए सवाल में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां अतिथि शिक्षक और रेगुलर शिक्षकों के बीच की भावना उजागर होते हैं। वे भी राजनीति से प्रेरित नजर आ रहे है। और राजनीति करने से नहीं चूक रहे हैं।
जब एक बच्ची ने सवाल किया था कि उनके लिए सालाना तीन करोड़ आता हैं और उसमें से केवल दो करोड़ ही आता हैं। छोटी बच्ची के इस सवाल ने हमे यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि यहाँ पर कार्यरत शिक्षक, शिक्षिका काँग्रेस और बीजेपी ग्रसित हैं। और अपनी ग्रसित सोच से बच्चों को ढाल बना एक दूसरे पर वार कर रहे है।