छत्तीसगढ़बलरामपुर

क्या है उत्तर सरगुजा क्यूँ उठी माँग

बलरामपुर – सरगुजा संभाग का उत्तरी छोर वाड्रफनगर ठंड के दिनों में कोहरे की चादर लपेट देता है और इस क्षेत्र में कभी कभार कोहरा इतन घना होता हैं कि सूर्य के दर्शन तक लोगों को नही होता हैं। छत्तीसगढ़ का अंतिम छोर होने व उत्तरप्रदेश से लगे होने के कारण लोगों को यहाँ पर बदलाव महसूस होता हैं चाहे इधर आने वाले हो या जाने वाले हो यहाँ से गुजरते वक़्त बदलाव महसूस जरूर होता हैं।

       आप को बता दे कि इस क्षेत्र में अब कोहरे ने दस्तक दे दी है, यहाँ का मौसम अब सुहाना हो गया है प्रातः काल में हरे-भरे वन और कोहरे आपका मन मोह लेंगे। यहाँ पर हवाओं में एक अलग ही मिठास हैं यहाँ शहरों से आने वाले लोगों जी भर के लम्बी-लम्बी साँसे लेते हैं। 

        सरगुजा सम्भग का उत्तरी छोर यानी उत्तर सरगुजा वन सम्पदा से भरा हुआ है और यहाँ के लोगों इस सम्पदा में रहते हुए प्रतापपुर व वाड्रफनगर को मिला कर एक अलग जिले की माँग वर्षों से कर रहे हैं जिसे लोग उत्तरसरगुजा के नाम से पहचान देना चाहते हैं। यह क्षेत्र आदिवासी क्षेत्र हैं लेकिन गैर आदिवासी समूह भी आदिवासियों की तरह रहना व उनके खानपान एवं परम्परा को अपनाते हैं यहाँ की बोली सरगुझिया हैं जो छत्तीसगढ़ी की तरह मीठी हैं और छत्तसगढ़ी से मिला जुला हैं इस सरगुझिया बोली का प्रभाव उत्तरप्रदेश के सोनभद्र अंचल में रहने वाले गोड़ समुदाय भी बोलते हैं उत्तर सरगुजा की बोली इतनी प्रभावित हैं कि उत्तरप्रदेश के शरहदी क्षेत्र बभनी ब्लाक के लगभग सभी लोग बोलते हैं। एक दौर में सरगुजा की पहचान इन आदिवासियों से ही होती थी। लेकिन सरगुजा विभाजन के बाद इन्हें दो टुकड़ों में बाट दिया गया सुरजपुर व बलरामपुर और दोनों जिलो में यहाँ के ब्लॉक मुख्यालय अंतिम छोर सिद्ध हुआ जहाँ से इन्हें उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाने लगा। सरगुजा का विभाजन इन ही लोगों के हित के लिए किया गया था पर राजनीति के माहिरों ने इनका हित नही होने दिया और सरगुजा की पहचान रखने वाले दोनों ब्लाक मुख्यालय को बाटते हुवे एक भी कर दिया ताकि एक हो कर भी एक ना रहे अलग-अलग जिला होने के बाद एक विधानसभा कर दिए जिसके कारण जिले में सौतेला व्यवहार होता रहा है। 

     अब आलम यह हैं कि लोगों सौतेले व्यवहार से तंग हो गए हैं और एक जुट हो कर अपने अस्तित्व की माँग कर रहे हैं छत्तीसगढ़ में एक और जिले के साथ उत्तर सरगुजा चाहते हैं।

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