बलरामपुरवाड्रफनगर

एक सितारा अधिकारी का कारनामा पैसे दो बॉडर पार जाओ

बलरामपुर – जिसके जिम्मे वन तथा वंनम्पदाओ के सुरक्षा की जिम्मेदारी हैं। उनके लिए अब तस्करी और अवैध उगाही की बात सामान्य सी हो गई है। ऐसा ही एक मामला बलरामपुर जिले से सामने आया है, जहाँ जिम्मेदार अधिकारी ने लकड़ी से भरे एक पिकअप वाहन को छत्तीसगढ़ की सीमा से उत्तरप्रदेश जाने के लिए अपने करीबी के फोन पे पर 5 हजार रुपये मंगवा लिए। जब मामला तूल पकड़ लिया तब जाकर पैसा वापस किया गया। इन बातों के सामने आने से यह साफ जाहिर हो जाता है कि अवैध तस्करों से जिम्मेदार अधिकारी के साठ-गांठ किस कदर है या यूं कहें की तस्कर तो तस्कर अब वन विभाग भी वनों की कटाई और तस्करी में खुलकर साथ दे रहे है।


दरअसल – मामला बलरामपुर वन मंडल के वन परिक्षेत्र वाड्रफनगर अंतर्गत धनवार बॉडर जाँच नाके का है। यहाँ पदस्त नाक प्रभारी जगदीश पाल एक सितारा लगा कर जिम्मेदार अधिकारी हैं और इनकी जिम्मे वन विभाग के वन सम्पदाओ के अवैध तस्करी को रोकने की सौंपी गई है। लेकिन महाशय की कारगुजारी ने यह साबित कर दिया कि उन्हें पैसे चाहिए चाहे आप जंगल ही क्यों ना उजाड़ कर ले जाए।


हुवा यह था कि दिनांक 16-06-2023 की रात जाँच नाके पर एक पिकअप वाहन क्रमांक up 64 H 2787 आई जसमे चिरान लकड़ी लोड थी वाहन चालक अपने पिकअप वाहन को त्रिपाल से ढका हुआ था। जांच के दौरान त्रिपाल हटाया गया तो जिम्मेदार अधिकारी भड़क गए और वाहन चालक ने दस्तावेज भी दिखाए की यह निलगिरी की लकड़ी हैं जो परिवहन के लिए छूट हैं ( सामान्य बिल होने पर) पर अधिकारी महोदय पिकअप वाहन समेत लकड़ी जप्त करने की धमकी दी, नही तो उसके एवज में 5 हजार रुपये तत्काल देने को कहा उस दौरान वाहन चालक ने फोन पे के माध्यम से अधिकारी के अधीन कार्यरत कर्मचारि के करीबी को 5 हजार रुपये दिए। फिर वाहन को जाने दिया। इस बात पर स्थानीय लोगों ने सुबह जा कर पूछताछ करने लगे तो पैसा वापस हुआ।


इस मामले में एसडीओ वन विभाग अनिल पैकरा ने कहा कि आप लोगो के माध्यम से इस बात की जानकारी हुई थी वहीं नाके में पदस्त वन कर्मी ने नीलगिरी चिरान होना बताया हैं। और पैसे की बात सामने आ रही है तो गलत है इस विषय पर भी जाँच की जाएगी। जाँच आरोप सिद्ध होता हैं तो उचित कार्यवाही के लिए उच्च अधिकारी को प्रतिवेदन भेजा जाएगा।
लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि अन्तराजिय चेकपोस्ट धनवार से प्रतिदिन हजारों गाड़ियों का आना-जाना होता है। और तस्करी में संलिप्त लोग भी इसी रास्ते का सहारा लेते हैं बीते कई दिनों में यहां पर बड़ी-बड़ी कार्यवाही भी हुई है अगर वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी इस कार्य में संलिप्त रहते हैं तो वह दिन दूर नहीं जब जंगल का सफाया हो जाएगा। और देखने वाली बात है कि अब ऐसे भ्रस्ट लोगो पर विभाग क्या कार्यवाही करता है।

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