बलरामपुरवाड्रफनगर

खबर, नही खबरदार हो जाइए मामला पूरा पढ़ें

बलरामपुर – समय अनुसार कानूनी धाराओं में परिवर्तन किया जाता है, और उनको एक संख्या के साथ नाम भी दिया जाता हैं। जिसे हम और आप रोज सुनते हैं फिर भी अपराध में कमी नहीं हो रहा हैं। इस लिए आज की यह ख़बर, ख़बर नही बल्कि खबरदार करने को आप के बीच रखा जा रहा है।


     दरसअल मामला पाक्सो एक्ट सहित दुष्कर्म का हैं और मामला बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर पुलिस चौकी का हैं जहाँ पर पीड़िता के परिजनों ने चौकी आ कर शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी महज 12 वर्षी नाबालिक बच्ची के साथ उनके करीबी रिस्ते दार द्वारा अपहरित कर दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया है। पुलिस को शिकायत मिलते ही पुलिस ने मामल दर्ज कर आरोपी रामसुनिल पिता रामधारी उम्र 24 निवासी चिकनी ( जजावल) थाना चन्दोरा जिला सुरजपुर की गिरफ्तारी के लिए निकल गए, पर आरोपी को इस बात की भनक लग गई और वह अपने ठिकाने से फरार हो गया। पुलिस तकरीबन एक महीने तक खाक छानती रही। फिर मुखबिर व पता सजी में उसे उसके ही ठिकाने निवास स्थान से गिरफ्तार कर लिया गया। वही पुलिस ने यह भी बताया कि वह अन्य राज्य भागने की तैयारी में था जिसकी पूरी तैयारी भी कर चुका था। पुलिस ने इस मामले में आरोपी के विरुद्ध धारा 363, 366, (A) 376 ढ़ IPC एवं पाक्सो 4,6 के तहत कार्यवाही करते हुए न्यायालय के समक्ष पेश कर जेल भेज दिया है।
     यहाँ पर हमें यह लगता हैं कि गलत किया था जेल गया। हमे क्या लेना देना है लेकि इसके पीछे एक नई कहानी का जन्म होता हैं। जेल जाने वाला भी एक परिवार का हिस्सा रहता हैं और उसके पीछे परिवार के लोग कई उम्मीदे और सपने सजाए रहते हैं, जो टूट कर चकनाचूर हो जाता हैं।

खबरदार हम क्यों कह रहे हैं।  क्योंकि कहि हमारे ,आपके परिवार के सदस्य इन जधन्य अपराध को अंजाम ना दे उससे दूरी बनाए रहे।

        इन सभी धाराओं को हमे और आप को गौर करना चाहिए, न्यायालय में दोषी पाया जाने पर क्या होगा। मै कोई वकील नही पर जहाँ तक समझता हूँ कि IPC की धारा 363 कहता हैं कि- आरोपी द्वारा संरक्षक या परिवार के संरक्षण से अपहरण कर लिया गया है। जिसमे एक वर्ष से सात वर्ष की सजा आर्थिक दण्ड सहित हो सकता है। 366 कहता है, नाबालिग को बहला फुसलाकर भगा ले जाने इसमें भी 4 वर्ष से 10 वर्ष की सजा हो सकती हैं। 376 के बारे में आप सभी जानते है की इसमें बलात्कार का मुकदमा दर्ज होता हैं। और आरोप साबित होने पर अपराधी को कम से कम सात वर्ष की सजा मिलती हैं कभी कभी कुछ मामलों में ये सजा दस वर्ष तक भी हो जाती हैं। 


    अब पाक्सो एक्ट की बात जान लीजिए जहाँ तक पाक्सो एक्ट नाबालिको के संरक्षण के लिए बनाया गया है। जिसमे कम से कम दस वर्ष की सजा या फिर कई जघन्य मामलों में आजीवन कारावास की सजा भी हो सकती हैं। 
       यह जानना जरूरी था हमारे और आप के लिए अपराध कम नही हो रहे है। इस पर अपने बीच घर, परिवार, गली, मोहल्ले, साथियों के बीच चर्चा होनी चाहिए ताकि समाज में ऐसे कृत की सजा के बारे में जाने पीडित बालिग या नाबालिग हो वह भी इसी समाज के बीच हैं और आरोपी भी इसी समाज के है। दोनो के परिवार को गहरा घाव मिलता हैं जो ताउम्र नही भरता है।

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