बलरामपुर – जिले में यह कैसी हवा चल रही हैं, हमारे समाज में विद्यालय को ज्ञान का मंदिर कहा जाता हैं और इस ज्ञानव्यापि मंदिर में यातना, प्रताड़ना करने के आरोप लगे तो फिर वह ज्ञान की गंगा किस ओर बहेगी। आरोप-प्रत्यारोप की बातें जब आप सुनेंगे तो आप भी यही कहेंगे ना तो शिक्षा विभाग की गरिमा रही नाही शिक्षक की एक ऐसा कीचड़ है जो पूरे विभाग को मैला कर दिया है।
एक बात आप लोगो को याद दिलाना चाहता हूँ। अपने ही छत्तीसगढ़ में एक चिंगारी पुलिस विभाग में पुलिस अधिकारी के प्रताड़ना की लगी थी जो पुलिस परिवार को सड़कों में ले आई थी। अब उसी से एक राजनीतिक पार्टी का उदय हो गया, जो आजाद जनता पार्टी के नाम से छत्तीसगढ़ की राजनीतिक धरा पर उतारने जा रही हैं। वही जिले में प्रताड़ना व नियमविरुद्ध पद्दोन्नति अन्यत्र देना एवं मिथ्या जाँच उपरांत निलंबित करने के आरोप पर इच्छा मृत्यु की दरखास्त कलेक्टर के जन दरबार को दी गई है।
दरअसल हम बात कर रहे हैं बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर विकासखंड अंतर्गत बसंतपुर हायर सेकेंडरी स्कूल कि। इस विद्यालय में पदस्थ पूर्व में प्रभारी प्राचार्य रहे राजेंद्र देवांगन प्रशासनिक अधिकारियों पर संगठित होकर खुद को प्रताड़ित करने का आरोप लगा रहे हैं।राजेंद्र देवांगन ने यह भी कहा है कि बीते दिनों उन्हें फर्जी आरोप लगाकर निलंबित करा दिया गया था और निलंबन के दौरान आर्थिक अभाव के चलते उनकी पत्नी व साले की भी मौत हो गई थी अब उनके साथ केवल 6 वर्ष का एक बच्चा है।वह जिला कलेक्टर से लिखित न्याय की मांग किए हैं वही,न्याय नहीं मिलने पर इच्छा मृत्यु की मांग अपने छः वर्सिय बच्चे के साथ किए हैं।
पूरे मामले में जब हमने बसंतपुर के ग्रामीणों से बात करना चाहा तो उन्होंने बताया कि राजेंद्र देवांगन एक अच्छे शिक्षक हैं और अपना अध्यापन कार्य जिम्मेदारी के साथ निभाते हैं वही कुछ स्थानीय शिक्षक यहा पदस्थ हैं जो अध्यापन कार्य के साथ-साथ अन्य लाभ के कार्य भी करते हैं और समय के अनुसार विद्यालय भी नहीं आते जिसे लेकर राजेंद्र देवांगन हमेशा आपत्ति जताते हैं और उन्हें अपनी आदतों में सुधार करने की बात कहते हैं। यही बात उन शिक्षकों को नागवार गुजरती है और स्थानीय शिक्षक मिल कर उन्हें प्रताड़ित करने का कार्य करते है और कुछ अधिकारी भी इन्हीं स्थानीय शिक्षकों के साथ मिले हुए हैं। अब देखना यह है कि इस पूरे मामले में जिला कलेक्टर क्या निर्णय लेते हैं जिससे बच्चों के भविष्य बन सके। आरोप-पत्यारोप अपनी जगह है लेकिन, झूठे आरोप की वजह से निलंबन, आर्थिक स्थिति का बिगड़ना एवं परिवार खो देना एक बहुत बडा आरोप है। और न्याय की गुहार लगाते हुए अपने 6 वर्षीय बच्चे के साथ इच्छा मृत्यु की मांग करना यह पूरे विभाग के लिए शर्मनाक बात हैं। आरोप-प्रत्यारोप में ना तो शिक्षा विभाग की गरिमा रही ना ही शिक्षक की कहीं ना कहीं ऐसे आरोप प्रत्यारोप पूरे शिक्षा विभाग में कीचड़ फेंकने जैसा है।