ईद ए मिलाद उन नबी का पर्व शान्ति पूर्ण ढंग से पूरे जिले में मनाया गया
बलरामपुर – विश्वभर में 28 सितंबर को ईद ए मिलाद उन नबी का पर्व मनाया गया। यह पर्व मुस्लिम समुदाय के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। पूरे देश के साथ छत्तीसगढ़ के तमाम जिलो और गाँव व शहरों में इस्लामिक झंडे के साथ राष्ट्रीय ध्वज भी लिए हुए रेलिया निकाल जिले के वाड्रफनगर में भी आज सुबह यह नजारा देखने को मिला।
इस दिन की बात करे तो कहा जाता हैं कि यह पर्व मुहम्मद पैगम्बर से जुड़ा पर्व है। इस दिन को इस्लाम धर्म के अनुयायी अल्लाह की इबादत के लिए महत्वपूर्ण दिन मनाते हैं। लोग घर और मस्जिदों में पवित्र कुरान पढ़ते हैं और एक दूसरे को गले लगाकर ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की मुबारकबाद देते हैं। कहते हैं कि इस दिन पवित्र कुरान के पाठ से अल्लाह का रहम बरसता है।
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के नाम से ही इस पर्व का कारक स्पष्ट है। कहते हैं कि अरबी भाषा के इस शब्द का अर्थ, ‘ईद’ ए मिलाद-उन-नबी का अर्थ है ‘हजरत मुहम्मद साहब का जन्म’। माना जाता है कि इसी दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद का जन्म हुआ था। इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए ये काफी महत्वपूर्ण पर्व है।
पैगंबर हजरत मुहम्मद का जन्म अरब के रेगिस्तान के मक्का शहर में 570 ईस्वी में हुआ था। जन्म से पहले ही उनके पिता और बाद में 6 वर्ष की आयु में मां की मृत्यु हो गई थी। पैगंबर मोहम्मद इस्लाम के सबसे महान नबी और आखिरी पैगंबर हैं। उनका विश्वास था कि अल्लाह ने उन्हें अपने संदेशवाहक के रूप में चुना है, इस कारण वह जीवनभर दूसरों को अल्ला का संदेश और कुराब की शिक्षा देते रहे।