


वाड्रफनगर – जिला मुख्यालय से बाहर प्रथम सिविल अस्पताल का दर्जा प्राप्त वाड्रफनगर में निर्णय किया पर सवालिया निशान लग गया। यहाँ चार माह में बनने वाला अतरिक्त वार्ड,आज एक साल चार माह लगा दिए फिर भी अधर में पड़ा हुआ है।

दरअसल वाड्रफनगर विकास खण्ड के पूरे क्षेत्र सहित पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से भी यहाँ लोग आते है। और मरीजो की संख्या भी बहुत ज्यादा होती हैं। जिस दौरान क्षेत्रों में मौसमी बीमारियों फैलती है, उस दौरान अस्पताल प्रबंधन अतरिक्त बेड बरामदे में लगा कर लोगों का इलाज करते है। जिसे देखते हुवे, 20 बस्तरिय अतरिक्त वार्ड 32 लाख 73 हजार N.H.M. मद से स्वीकृत की गई थी एवं 10 बिस्तरिय आयुशुलेशन वार्ड 34 लाख 64 हजार NABARD DHS मद से स्वीकृति की गई। जो महज चार माह में फरारी कार की रफ़्तार से निर्माण कर स्वास्थ्य विभाग को देना था। लेकिन आज 1 वर्ष 4 माह बीत गए, जिसमे केवल एक का रंगरोगन किया जा चुका है दूसरा अभी भी अधर में अटका हुआ है। इस कि केवल दीवारे खड़ी है और काम भी बंद नजर आ रहा है।


अधूरे काम को काम को देखने वाला कोई नही नजर नही आ रहा है। इस अधूरे काम ने हमारे ज़हन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। 4 माह में भवन निर्माण कर देने वाले आदेश क्या अति आवश्यक स्थिति में जारी की गई थी। अगर हाँ हैं, तो फ़िर 4 की जगह 6 माह में तो पूरा हो जाना चाहिए था। यदि यह कार्य 1 वर्ष का होती तो क्या 1 की जगह 4 वर्ष लगते। अभी भी संभावना यही है कि आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस भवन का फिट कट पाएगा।

