बलरामपुर

शिक्षा से वंचित रहे पूर्व नक्सली हो या परिवार या विभाग के लोग सबकी मदद में पुलिस अधीक्षक

बलरामपुर– पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उमेद सिंह द्वारा पूर्व नक्सली सुपेल महंत, निवासी एवं पूर्व नक्सली रामअवधेश, दोनों निवासी ग्राम बनौर, थाना बलरामपुर को पुलिस अधीक्षक कार्यालय बलरामपुर में बुलाकर विस्तृत पूछताक्ष की गई। पूछताक्ष के दौरान दोनों पूर्व नक्सलियों द्वारा अत्यधिक गरीबी एवं पैसे की तंगी होने के कारण पढ़-लिख नहीं हो पाना बताया एवं आगे पढ़ने की इच्छा जाताए जाने पर पुलिस अधीक्षक द्वारा पूर्व नक्सली सुपेल महंत, 10वी (ओपेन) में दाखिला कराया गया। इसी प्रकार पूर्व नक्सली रामअवधेश, निवासी ग्राम बनौर के पुत्र जो पैसे की तंगी की वजह से पूर्व में 10वीं से पढ़ाई छोड़ चुका था उसका 10वीं (ओपेन) में दाखिला कराया गया। 

   पुलिस अधीक्षक द्वारा दोनों का दाखिला कराकर पढ़ने एवं परीक्षा की तैयारी हेतु पुस्तके, संदर्शिका एवं अन्य आवश्यक पाठ्य सामाग्री स्टेशनरी दुकान से स्वयं खरीदवाकर दिया गया।

   इसी तरह  02 दिन पूर्व एक अन्य पूर्व नक्सली सीताराम निवासी गम्हरिया, बलरामपुर की पत्नी श्रीमती विराजो जो पैसे की तंगी की वजह से पूर्व में 10वीं की परीक्षा नहीं दे पाई थी उसका 10वीं (ओपेन) में दाखिला कराकर पढ़ने एवं परीक्षा की तैयारी हेतु पुस्तके, संदर्शिका एवं अन्य आवश्यक सामाग्री स्टेशनरी दुकान से स्वयं खरीदवाकर दिया गया है। पुलिस अधीक्षक द्वारा श्रीमती विराजो दो बच्चों जिनकी पूर्व वर्ष की स्कूल फीस पटाना स्कूल में बाकी था उसे भी स्वयं से भुगतान कराया गया तथा दोनों बच्चों की इस वर्ष की स्कूल फीस, पढ़ाई के लिए कॉपी, पुस्तक एवं अन्य पाठ्य सामाग्री दी गई। पुलिस अधीक्षक द्वारा दोनों बच्चों को स्कूल यूनीफार्म एवं सिविल कपड़े भी खरीदवा कर दिया गया।

 पुलिस अधीक्षक बलरामपुर द्वारा पूर्व नक्सली एवं उनके परिवार को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य मदद् का भी भरोसा दिया गया है। पूर्व नक्सली एवं उनके परिवार पुलिस की मदद् पाकर बहुत खुश हुए एवं पुलिस अधीक्षक बलरामपुर के साथ-साथ पूरी बलरामपुर पुलिस का धन्यवाद किया।

साथ ही पुलिस अधीक्षक बलरामपुर द्वारा कुछ दिन पूर्व ही बेसिक ट्रेनिंग पूरा कर रक्षित केन्द्र बलरामपुर में आमद आई महिला आरक्षक देवकुदंर जो की अनुकंपा नियुक्ति के माध्यम से पुलिस विभाग में भर्ती हुई हैं, महिला आरक्षक द्वारा बताया गया कि घर की स्थिति अच्छी नहीं होने की वजह से वह केवल 8वीं तक ही पढ़ाई कर सकी थी। पुलिस अधीक्षक द्वारा महिला आरक्षक की बाते सुनकर उसका भी 10वी ( ओपेन ) में दाखिला कराकर पढ़ने एवं परीक्षा की तैयारी हेतु पुस्तके, संदर्शिका एवं अन्य आवश्यक सामाग्री स्टेशनरी दुकान से स्वयं खरीदवाकर दिया गया।

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