बलरामपुर

क्या स्थिति है प्रतापपुर विधानसभा की कैसी रहेगी चुनोती काँग्रेस को..

प्रतापपुर विधानसभा

बलरामपुर – आगामी विधानसभा चुनाव छत्तीसगढ़ में भी होने वाली हैं और सबकी नजर इस चुनाव में बनी हुई है, यहाँ मुख्य रूप से दो राष्ट्रीय पार्टिया सरकार बनाती रही है, वो भी पूर्ण बहुमत से कभी भाजपा तो कभी कॉंग्रेस। छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने के लिए अभी तक समर्थन की आवश्यकता नहीं पड़ी हैं लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में कई क्षेत्रीय पार्टीया इस बार नजर आने वाली हैं। साथ ही राष्ट्रीय पार्टियां भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने वाले हैं। लेकिन विधानसभा क्षेत्र में परिस्थिति अलग नजर आ रही हैं।

   आज हम प्रतापपुर विधानसभा की बात करेंगें। प्रतापपुर विधानसभा 2008 के चुनाव से ठीक पहले अपने अस्तित्व में आया और काँग्रेस के डॉ प्रेमसाय ने भाजपा के समसेवक पैकरा को हर कर यहाँ के सीट पर कब्जा किया। हालांकि काँग्रेस सरकार नही बना पाई और प्रेमसाय विपक्ष में रहे। वही रामसेवक पैकरा के हार का कारण विधानसभा क्षेत्र से बाहर के प्रत्याशी होना माना गया। लेकिन भाजपा संगठन ने उस दौरान रामसेवक पैकरा को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद दे कर अपने विधानसभा में अपना पहचान बनाने का भरपूर मौका दिया। जिसके कारण 2013 के चुनाव में प्रेमसाय को हरा कर प्रदेश के मंत्रिमंडल में शामिल हुवे और बतौर गृहमंत्री का पद सम्भाले।

        वर्तमान में काँग्रेस – प्रतापपुर विधानसभा में काँग्रेस लगातार डॉ प्रेमसाय को अपना उम्मीदवार बनाता रहा है। मध्यप्रदेश के दौर से डॉ प्रेमसाय सिंह पर अपना दावा खेल रहे है और इस लम्बे सफर में कई पार्टी के समर्थक बने और कई बार पार्टी से टिकट की मांग की लेकिन पार्टी संगठन व सरगुजा राजघराना का विश्वास नहीं जीत पाए। इसी कड़ी में एक नाम राजाराम श्यामले का भी है, जो बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर विकास खण्ड बड़कागाँव के रहने वाले हैं वे एक शिक्षक होने के कारण गाँव मे और आस-पास के क्षेत्रों में दबदबा बनाए हुवे हैं। वे काँग्रेस के हित में अंदरूनी तौर पर काम करते थे। 2013 के विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी काँग्रेस से करते हुए दिल्ली अलाकमान तक पहुँच गए लेकिन टिकट नहीं मिली। 2018 के चुनाव में भी प्रयास किया उस वक्त भी निराशा हाथ लगी। अब राजाराम श्यामले देश की तीसरी बड़ी पार्टी बन कर उभरी आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है। आम आदमी पार्टी ने इस विधानसभा से अपना प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। ऐसे में इस विकास खण्ड के पूर्वी हिस्से में जहाँ से काँग्रेस को अच्छी पकड़ हैं और वोट भी काँग्रेस को ठीक मिलता हैं वहाँ से राजाराम श्यामले इस चुनाव में उतर आए हैं। 

       इसी क्षेत्र की बात की जाए तो राजकुमार गुप्ता वरिष्ट काँग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता हैं। उनकी पहचान इस क्षेत्र में पालनहार के रूप में कि जाती हैं। और वर्त्तमान में डॉ प्रेमसाय सिंह से अलग प्रत्याशी की मांग मिडिया के जरिए पार्टी से कर चुके है। ऐसे में डॉ प्रेमसाय सिंह को इस क्षेत्र से उभरना मुश्किल होगा।

          युवा वर्ग की बात की जाए तो काँग्रेस में कई युवा वर्ग अपना सामर्थ पार्टी को दिखाते हुए पार्टी में इस विधानसभा के लिए दावेदार कर चुके हैं। इस कड़ी में प्रबल दावेदारी रामदेव जगते ने दिखाई हैं, रामदेव जगते ने 2018 के विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी पेश करते हुए नामांकन फार्म ले लिए थे। और ज़िद पर अड़े थे कि उसे पार्टी टिकिट दे पर इस दौरान टी एस सिंह देव ने उन्हें मना लिया और रामदेव जगते टी एस सिंह देव के हाथों में फार्म सौप दिया। वही डॉ प्रेमसाय को एक अवसर मिल गया। इस 5 वर्षो में रामदेव प्रदेश संगठन से लेकर विधानसभा क्षेत्र में अपनी पकड़ और मजबूत बनाई है। जिसका नतीजा डॉ प्रेमसाय सिंह के इस सीट पर प्रबल दावेदार माना जा रहा है। रामदेव टिकट की मांग कर चुके हैं। रामदेव की पकड़ की बात करे तो क्षेत्र में इस युवा नेता का अच्छी खासी हैं इसके लिए इसके समर्थक एक इशारे पर भीतर-घात भी कर सकते हैं। और कहावत है राजनीति और जंग में सब जायज है। पिछली बार सिंह देव ने रामदेव को मना लिया था लेकिन इस बार पार्टी से टिकट नही मिली तो क्या रामदेव बगावत या भितरघात पर उतर आएंगे।

  फिलहाल इतना ही आगे की कड़ी में और बाते आपसे साझा की जाएगी। ,🍁

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